Top 10 moral stories in hindi with moral | Hindi Kahaniyan
Hello doston aap log kaise hain aaj iss post mein main aapke liye Top 10 moral stories in hindi with moral | Hindi Kahaniyan kuch interesting short kahaniyan lekar aaya hoon jo hame kuch na kuch message deti hain.
एक समय की बात है छोटे राम और मोटेराम नामक दो भाई थे। वह दोनों गरीब मगर बहुत परिश्रमी थे।एक दिन उन्होंने गांव से बाहर जाकर अपने भाग्य को आजमाने का विचार किया और इस तरह वे बहुत दूर एक शहर में आ गए यहां शहर में छोटे राम ने एक तेली के यहां काम करना शुरू किया और मोटे राम ने कुम्हार के यहां। दोनों ने अपने मालिकों के यहां 1 साल काम करने का निश्चय किया।
तेली के यहां छोटे राम को बड़ा कठिन परिश्रम करना पड़ा।उसे मिल भी चलानी पड़ती थी और घायलों की शादी भी करनी पड़ती थी लेकिन मोटे राम की स्थिति अच्छी नहीं थी। जब वह सवेरे मोटे राम को उठाता तो उसकी नींद पूरी नहीं हो पाती थी। वह थकान अनुभव करता था। एक दिन दोनों भाई एक दूसरे का हाल जानने के लिए मिले।लेकिन वे एक दूसरे की चिंता किए बिना अपने ही मालिक की दयालुता और अच्छाई की चर्चा करते रहे। उन्होंने एक दूसरे को बताया कि वह अपने काम से खुश हैं।
छोटे राम ने कहा मैं तो 1 साल की अवधि समाप्त होने पर लौट जाना चाहता हूं। मोटेलाल ने कहा मैं भी लौटूंगा लेकिन हमें अपने वायदे के अनुसार 1 साल तो रुकना ही पड़ेगा। हम शर्त नहीं तोड़ सकते।
1 दिन छोटे राम के मालिक ने यह सुना कि उसके सेब के पेड़ के नीचे खजाना गड़ा है। लेकिन वह आलसी था, वह खुदाई नहीं करना चाहता था । अतः छोटे राम से कहा कि वह इस मिट्टी से ईट बनाना चाहता है , इसलिए वह इस जमीन को पोला करदे । उसने छोटे को सच्चाई नहीं बताई। बेचारा छोटे राम दिन भर तो मिल चलाने और बैलों को चारा देने में लगा रहा । रात को उसे मालिक ने जमीन पोला करने पर लगा दिया लेकिन उसने भी कोई शिकायत नहीं की वह मेहनती था । उसने जमीन को पानी से पोला किया और उसे तब तक खोदा जब तक कि सोने के सिक्कों से भरा हुआ बक्सा उसे नहीं मिल गया। वह खुशी से उछल पड़ा और बोला वाह यह मेरे परिश्रम का परिणाम है और सोचने लगा अब मैं और मोटे राम गांव लौट सकते हैं ।
2-कहानी मूर्ख चोर की
एक चोर था। वह चोरी करने के लिए एक घर में घुसा। उसने इधर उधर देखा उसे सब तरफ सन्नाटा दिखाई दिया। तभी उसकी नजर चूल्हे पर चढ़ी पतीली पर गई जिस पर खीर पक रही थी। वह उसकी सुगंध से प्रभावित हो गया।
तभी उसकी नजर एक बच्चे पर पड़ी , वह एक चारपाई पर सोया हुआ था उसने देखा बच्चे का हाथ फैला हुआ है , उसने सोचा कि बच्चा खीर मांग रहा है चोर ने कहा रुको अभी खीर गर्म है, परंतु बच्चा तो सो रहा था, बच्चे का हाथ फैला हुआ देखकर चोर ने पुनः कहा रुको खीर अभी गर्म है। परंतु बच्चा फिर भी नहीं बोला और ना ही उसने हाथ ही हटाया। इस से चोर को गुस्सा आ गया और उसने गरम-गरम खीर बच्चे के हाथ में रख दी बच्चा चिल्लाने लगा तभी घर वाले जाग गए और उस चोर को पकड़ लिया।
3-हाय बकरी 2 गांव खा गई
दो मित्र थे । एक कुम्हार दूसरा सब्जीवाला था। दोनों एक ऊंट पर सब्जियां बेचने जाया करते थे। बाजार में सब्जियां ज्यादा बिकती थी और मटके कम इससे कुम्हार को सब्जी वाले से जलन होने लगी । एक दिन दोनों अपना-अपना सामान लादकर बाजार जा रहे थे। सब्जी वाला सोने लगा इतने में ऊंट अपनी गर्दन घुमाकर सब्जी खाने लगा और कुम्हार देख रहा था ।
पुराने समय की बात है सूर्य गढ़ का राजा नवल सिंह एक सुंदर महल में रहता था। महल में हीरामन नाम का एक नौकर भी रहता था। वह बहुत मेहनती और ईमानदार था । राजा उसके काम से खुश रहता था महल के अंदर के कामकाज वही करता था 1 दिन हीरामन ने मन ही मन सोचा मैं दिन रात मेहनत करता हूं पर वेतन थोड़ा सा मिलता है। यह मंत्री लोग जरा सी भी मेहनत नहीं करते पर वेतन बहुत ज्यादा पाते हैं जो कि सही नहीं है। किसी दिन राजा साहब से यह बात कहूंगा 1 दिन सुबह के समय हीरामन राजा का नाश्ता लेकर गया राजा को खुश देखकर अचानक उसने सोचा आज राजा से अपनी बात कहने का अच्छा मौका है, उसने कहा हुजूर आप नाराज ना हो तो एक विनती करूं? कहो क्या कहना है राजा ने पूछा हुजूर मैं तो रात दिन आपकी सेवा में लगा रहता हूं मुस्तैदी से काम भी करता हूं पर वेतन थोड़ा सा मिलता है। आप के मंत्री तो जरा सी भी मेहनत नहीं करते पर वेतन बहुत ज्यादा पाते हैं । तुम्हारी बात सही है और कुछ कहना है राजा ने पूछा? हुज़ूर इतना बड़ा अंतर क्यों है हीरामन ने कहा। राजा मुस्कुराए फिर बोले किसी दिन बता देंगे हीरामन वहां से चला गया और अपने काम में लग गया। 1 दिन से राजा अपने महल की छत पर बैठे थे। शाम का समय था उन्होंने थोड़ी दूर पर ऊंटों का एक काफिला देखा। राजा ने हीरामन को बुलाया और कहा जाओ उस काफिले का पता लगाओ। हीरामन दौड़ता हुआ गया और जल्दी वापस आ गया राजा से कहा हुजूर यह काफिला अराकोसिया से आया है और कुछ राजा ने पूछा हुज़ूर आपने तो इतना ही पता लगाने को कहा था। ठीक है जाओ अपना काम देखो राजा ने दूसरे नौकर को भेजकर एक मंत्री को बुलाया मंत्री आया तो राजा ऊंटों के बारे में पता लगाने को कहा मंत्री झटपट गया और थोड़ी देर बाद पता लगाकर वापस आ गया उसने बताया महाराज यह काफिला अरकोजिया से आया है अवध प्रांत की तरफ जा रहा है। ऊंट व्यापारियों के हैं, ऊंट बेचना चाहते हैं, ऊंट तंदुरुस्त है। कुल मिलाकर १०० ऊंट है।ठीक है जाओ उनको सौदा करो राजा ने आदेश दिया मंत्रि ऊंटों का सौदा करने चला गया । हीरामन आप ही खड़ा राजा और मंत्री की बातचीत सुन रहा था।
राजा ने उससे कहा अब समझे हीरामन ,तुम्हारे और मंत्री के वेतन में इतना अंतर क्यों है? तुम मेहनती जरूर हो।ईमानदार भी हो लेकिन तुम्हारी और मंत्रियों की बुद्धि में अंतर है। इसलिए तुम्हारे और उनके वेतन में अंतर हैं। समझ गए हुजूर हीरामन ने कहा। देखा बच्चों राजा ने हीरामन नौकर को बुद्धि की कीमत कैसे समझाई।
राजा मनुष्य का हादसा मुझे हीरामन तुम्हारे और मंत्री के वेतन में इतना अंतर क्यों है तुम मेहंदी जरूर हो ईमानदार भी हो लेकिन तुम्हारी और मंत्रियों की बुद्धि में अंतर है इसलिए तुम्हारे और उनके वेतन में अंतर है समझ गए हुजूर हीरामन ने कहा देखो बच्चों प्लाजा नहीं रमन लवकर को बुद्ध की कीमत कैसे समझाई।
6-सच्चा मित्र
एक गधा कई दिनों से बेचैन था वह कुछ जानना चाहता था !उसका एक दोस्त था टॉमी वह फालतू था! वह घर से बाहर कब निकलता था एक दिन वह खिड़की से झांक रहा था बस यही मौका था बात करने का वह चुपके से मुंह खिड़की के पास लाकर बोला टॉमी कैसे हो बहुत दिन से नहीं मिले टॉमी ने अपना मुंह खिड़की से बाहर निकाला वह गधे को देखकर मुस्कुराया गधा संतुष्ट हुआ वह सोचने लगा कैसा सच्चा मित्र है मुझे देख कर बस एक टॉमी जो मुस्कुराता है बाकी सब तो नाक चढ़ाते हैं गधे ने भी उसकी मुस्कुराहट का जवाब मुस्कुराहट से दिया कुत्ता बोला बताऊं गर्दन मित्र जंजीर का पट्टा पड़ा ही रहता है! अब तो खोला भी नहीं जाता गली में किसी कुत्ते ने किसी बच्चों को काट लिया बस उसका दंड हमें मिल रहा है गधे ने उसकी बात मानी और सिर हिलाया बोला बस यही तो न्याय करे कोई भरे कोई मैंने तो किसी को कुछ नहीं बिगाड़ा फिर भी मुझे देख कर कोई नहीं मुस्कुराता तुम ही मेरे सच्चे मित्र हो जो मुझे देख कर मुस्कुराते हो गधे ने बाकी समाप्त किया इतने में उसका मित्र भी उसके ऊपर भागने लगा गधे की भक्ताई जा रहा था गधा उदास हो गया वहां से चला गया वह कई दिन तक फिर बेचने पर दुखी था एक सच्चा मित्र ऐसे नहीं कर सकता जरूर कोई बात होगी 1 दिन टॉमी का पट्टा खुल गया मैं भागा भागा गधे के पास आया था! उसके मालिक ने देख लिया था वह गधे से घृणा करता है करने जा रहा था अपने मित्र को बचाने के लिए कुत्ता भाव खाता गधे की आंखों में मित्र की बात सुनकर आंसू आ गए उसके आंसू कह रहे थे सच्चा मित्र कभी धोखेबाज नहीं हो सकता!
7-कहानी मूर्ख राजा की
एक मूर्ख बादशाह था उसे राज्य और प्रजा किसी की भी चिंता नहीं थी! उसे तो बस केवल कपड़े पहनने का शौक था वह हर घंटे कपड़े बदलता है एक बार उसके दरबार में एक जुलाहा आया और उसने कहा महाराज मैं ऐसे वस्त्र बनाऊंगा जिसे पहनकर लगेगा कि नहीं कि वस्त्र पहने हुए हैं यह वस्त्र केवल बुद्धि वालों को ही दिखाई देंगे बादशाह ने जुलाई को वस्त्र बनाने का आदेश दे दिया जुलाहा बनाने लगा बुलाए मुंह मांगी रकम और बादशाह ने भी धन देने में कमी नहीं की अब राजा को वस्त्र देखने की चिंता हुई! राजा ने मंत्री के जुलाहे के घर जाने को कहा मंत्री उसके घर जा कर दंग रह गया कर गया चल रहा था और कपड़ा भी नहीं था वास्तव में भी ऐसा ही था मंत्री ने जुलाई से कहा कपड़ा कहां है तो जुलाहे ने कहा बन ही गया है कल दरबार में पेश करूंगा लेकिन कपड़े कहां है दुलारा करते हैं और कढ़ाई नहीं दिखाई दे रहे हैं परंतु यह बात मालूम पड़ी तो मुझे नौकरी से हटा देगा यह सोचकर उसने भी झूठी तारीफ की वस्तुओं के बारे में खूब प्रशंसा की और यह भी कहा कि कल दरबार में स्वयं जाएगा को रात भर नींद नहीं आई दूसरे गांव के लोग उपस्थित हुए इलाहाबाद कहां है तो फिर नहीं दिखाई देते हैं इलाही ने कहा यह देखिए महाराज तो फिर राजा ने सोचा शायद मैं मूर्ख हूं इसलिए बस नहीं दिखाई देते हैं परंतु यदि मैंने यह कहा तो लोग मुझे मोर समझकर दरबार से निकाल देंगे राजा ने भी झूठी तारीफ की फिर जुलाहा उन्हें कमरे में ले गया जब राजा बाहर आया तो सभी वाह-वाह कर रहे थे! इसी वैसे कि कहीं वह मूर्ख ना समझे जाए सभी झूठी तारीफ कर रहे थे राजा प्रसन्नता तभी एक बच्चे ने कहा राजा नंगा है सभी हंस पड़े राजा को अपनी मूर्खता पर पछतावा हुआ!
Jinme se iss post mein 10 kahaniyon ko maine share kiya hai jinki list neeche di gayi hai jo bhi aapko story pasand ho woh aap read kar sakte hain aur apne friends ko bhi share kar sakte hain.
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List of Hindi Kahaniyan
2-कहानी मूर्ख चोर की
3-हाय बकरी 2 गांव खा गई
4-बुराई का फल
5-बुद्धि की कीमत
6-सच्चा मित्र
7-कहानी मूर्ख राजा की
8-ज्ञान-प्रकाश
9-हितैषी मित्रों का त्याग न करें
10-ज्ञान का महत्व
1-परिश्रम का फल
एक समय की बात है छोटे राम और मोटेराम नामक दो भाई थे। वह दोनों गरीब मगर बहुत परिश्रमी थे।एक दिन उन्होंने गांव से बाहर जाकर अपने भाग्य को आजमाने का विचार किया और इस तरह वे बहुत दूर एक शहर में आ गए यहां शहर में छोटे राम ने एक तेली के यहां काम करना शुरू किया और मोटे राम ने कुम्हार के यहां। दोनों ने अपने मालिकों के यहां 1 साल काम करने का निश्चय किया।
तेली के यहां छोटे राम को बड़ा कठिन परिश्रम करना पड़ा।उसे मिल भी चलानी पड़ती थी और घायलों की शादी भी करनी पड़ती थी लेकिन मोटे राम की स्थिति अच्छी नहीं थी। जब वह सवेरे मोटे राम को उठाता तो उसकी नींद पूरी नहीं हो पाती थी। वह थकान अनुभव करता था। एक दिन दोनों भाई एक दूसरे का हाल जानने के लिए मिले।लेकिन वे एक दूसरे की चिंता किए बिना अपने ही मालिक की दयालुता और अच्छाई की चर्चा करते रहे। उन्होंने एक दूसरे को बताया कि वह अपने काम से खुश हैं।
छोटे राम ने कहा मैं तो 1 साल की अवधि समाप्त होने पर लौट जाना चाहता हूं। मोटेलाल ने कहा मैं भी लौटूंगा लेकिन हमें अपने वायदे के अनुसार 1 साल तो रुकना ही पड़ेगा। हम शर्त नहीं तोड़ सकते।
1 दिन छोटे राम के मालिक ने यह सुना कि उसके सेब के पेड़ के नीचे खजाना गड़ा है। लेकिन वह आलसी था, वह खुदाई नहीं करना चाहता था । अतः छोटे राम से कहा कि वह इस मिट्टी से ईट बनाना चाहता है , इसलिए वह इस जमीन को पोला करदे । उसने छोटे को सच्चाई नहीं बताई। बेचारा छोटे राम दिन भर तो मिल चलाने और बैलों को चारा देने में लगा रहा । रात को उसे मालिक ने जमीन पोला करने पर लगा दिया लेकिन उसने भी कोई शिकायत नहीं की वह मेहनती था । उसने जमीन को पानी से पोला किया और उसे तब तक खोदा जब तक कि सोने के सिक्कों से भरा हुआ बक्सा उसे नहीं मिल गया। वह खुशी से उछल पड़ा और बोला वाह यह मेरे परिश्रम का परिणाम है और सोचने लगा अब मैं और मोटे राम गांव लौट सकते हैं ।
भगवान की कितनी मेहरबानी है , उसने सोने के सिक्कों का बक्सा उठाया और कुम्हार के यहां रह रहे अपने भाई मोटे राम के पास पहुंचा उसने मोटे राम को सारी बात बताई और दोनों भाई अपने गांव लौट गए। यद्यपि उनके पास बहुत धन हो गया था फिर भी परिश्रम करना उन्होंने कभी नहीं छोड़ा।
2-कहानी मूर्ख चोर की
एक चोर था। वह चोरी करने के लिए एक घर में घुसा। उसने इधर उधर देखा उसे सब तरफ सन्नाटा दिखाई दिया। तभी उसकी नजर चूल्हे पर चढ़ी पतीली पर गई जिस पर खीर पक रही थी। वह उसकी सुगंध से प्रभावित हो गया।
तभी उसकी नजर एक बच्चे पर पड़ी , वह एक चारपाई पर सोया हुआ था उसने देखा बच्चे का हाथ फैला हुआ है , उसने सोचा कि बच्चा खीर मांग रहा है चोर ने कहा रुको अभी खीर गर्म है, परंतु बच्चा तो सो रहा था, बच्चे का हाथ फैला हुआ देखकर चोर ने पुनः कहा रुको खीर अभी गर्म है। परंतु बच्चा फिर भी नहीं बोला और ना ही उसने हाथ ही हटाया। इस से चोर को गुस्सा आ गया और उसने गरम-गरम खीर बच्चे के हाथ में रख दी बच्चा चिल्लाने लगा तभी घर वाले जाग गए और उस चोर को पकड़ लिया।
3-हाय बकरी 2 गांव खा गई
'हाय बकरी 2 गांव खा गई' एक आदमी आगरा की सड़कों पर रोता चिल्लाता घूम रहा था । लोग आश्चर्य में थे भला बकरी 2 गांव कैसे खा सकती है, आखिर यह खबर बादशाह तक पहुंची बादशाह ने उस आदमी को देखते ही पहचान लिया की शिकार पर गए बादशाह अकबर थके थे। उन्हें गन्ने के खेत में काम करने वाला किसान दिखाई पड़ा । उन्होंने पूछा भाई थोड़ा गन्ने का रस पिला सकते हो? आप बैठिए तो मैं अभी थोड़ी देर में लाता हूं। किसान गन्ने का रस लेकर आ गया । अकबर रस पीकर खुश हो गए और उन्होंने कहा ऐसा रस हमने कभी नहीं पिया और खुश होकर उन्होंने किसान को दो गाँव इनाम में दिया और पीपल के पत्ते पर लिख कर कहा कल आगरा आकर पक्के कागज पर लिखवा लेना। अकबर चले गए किसान काम करने लगा कुछ देर बात पत्ते की बात को भूल गया।
हवा से वह पत्ता अन्य पत्तों से जा मिला किसान की बकरी आई और पत्ते को खा गई तब तक किसान को पत्ते की याद आई और किसान चिल्लाने लगा हाय बकरी 2 गांव खा गई।
हवा से वह पत्ता अन्य पत्तों से जा मिला किसान की बकरी आई और पत्ते को खा गई तब तक किसान को पत्ते की याद आई और किसान चिल्लाने लगा हाय बकरी 2 गांव खा गई।
4-बुराई का फल
दो मित्र थे । एक कुम्हार दूसरा सब्जीवाला था। दोनों एक ऊंट पर सब्जियां बेचने जाया करते थे। बाजार में सब्जियां ज्यादा बिकती थी और मटके कम इससे कुम्हार को सब्जी वाले से जलन होने लगी । एक दिन दोनों अपना-अपना सामान लादकर बाजार जा रहे थे। सब्जी वाला सोने लगा इतने में ऊंट अपनी गर्दन घुमाकर सब्जी खाने लगा और कुम्हार देख रहा था ।
इतने में ऊंट आधी से ज्यादा सब्जी खा गया एक तरफ का भार कम होने से दूसरी तरफ से कुम्हार के मटके जमीन पर गिरकर चूर चूर हो गए। कुम्हार को इससे काफी पछतावा हुआ कि हमने मित्र का बुरा चाहे तो मुझे फल मिला इंसान को कभी भी दूसरों का बुरा नहीं सोचना चाहिए।
5-बुद्धि की कीमत
पुराने समय की बात है सूर्य गढ़ का राजा नवल सिंह एक सुंदर महल में रहता था। महल में हीरामन नाम का एक नौकर भी रहता था। वह बहुत मेहनती और ईमानदार था । राजा उसके काम से खुश रहता था महल के अंदर के कामकाज वही करता था 1 दिन हीरामन ने मन ही मन सोचा मैं दिन रात मेहनत करता हूं पर वेतन थोड़ा सा मिलता है। यह मंत्री लोग जरा सी भी मेहनत नहीं करते पर वेतन बहुत ज्यादा पाते हैं जो कि सही नहीं है। किसी दिन राजा साहब से यह बात कहूंगा 1 दिन सुबह के समय हीरामन राजा का नाश्ता लेकर गया राजा को खुश देखकर अचानक उसने सोचा आज राजा से अपनी बात कहने का अच्छा मौका है, उसने कहा हुजूर आप नाराज ना हो तो एक विनती करूं? कहो क्या कहना है राजा ने पूछा हुजूर मैं तो रात दिन आपकी सेवा में लगा रहता हूं मुस्तैदी से काम भी करता हूं पर वेतन थोड़ा सा मिलता है। आप के मंत्री तो जरा सी भी मेहनत नहीं करते पर वेतन बहुत ज्यादा पाते हैं । तुम्हारी बात सही है और कुछ कहना है राजा ने पूछा? हुज़ूर इतना बड़ा अंतर क्यों है हीरामन ने कहा। राजा मुस्कुराए फिर बोले किसी दिन बता देंगे हीरामन वहां से चला गया और अपने काम में लग गया। 1 दिन से राजा अपने महल की छत पर बैठे थे। शाम का समय था उन्होंने थोड़ी दूर पर ऊंटों का एक काफिला देखा। राजा ने हीरामन को बुलाया और कहा जाओ उस काफिले का पता लगाओ। हीरामन दौड़ता हुआ गया और जल्दी वापस आ गया राजा से कहा हुजूर यह काफिला अराकोसिया से आया है और कुछ राजा ने पूछा हुज़ूर आपने तो इतना ही पता लगाने को कहा था। ठीक है जाओ अपना काम देखो राजा ने दूसरे नौकर को भेजकर एक मंत्री को बुलाया मंत्री आया तो राजा ऊंटों के बारे में पता लगाने को कहा मंत्री झटपट गया और थोड़ी देर बाद पता लगाकर वापस आ गया उसने बताया महाराज यह काफिला अरकोजिया से आया है अवध प्रांत की तरफ जा रहा है। ऊंट व्यापारियों के हैं, ऊंट बेचना चाहते हैं, ऊंट तंदुरुस्त है। कुल मिलाकर १०० ऊंट है।ठीक है जाओ उनको सौदा करो राजा ने आदेश दिया मंत्रि ऊंटों का सौदा करने चला गया । हीरामन आप ही खड़ा राजा और मंत्री की बातचीत सुन रहा था।
राजा ने उससे कहा अब समझे हीरामन ,तुम्हारे और मंत्री के वेतन में इतना अंतर क्यों है? तुम मेहनती जरूर हो।ईमानदार भी हो लेकिन तुम्हारी और मंत्रियों की बुद्धि में अंतर है। इसलिए तुम्हारे और उनके वेतन में अंतर हैं। समझ गए हुजूर हीरामन ने कहा। देखा बच्चों राजा ने हीरामन नौकर को बुद्धि की कीमत कैसे समझाई।
राजा मनुष्य का हादसा मुझे हीरामन तुम्हारे और मंत्री के वेतन में इतना अंतर क्यों है तुम मेहंदी जरूर हो ईमानदार भी हो लेकिन तुम्हारी और मंत्रियों की बुद्धि में अंतर है इसलिए तुम्हारे और उनके वेतन में अंतर है समझ गए हुजूर हीरामन ने कहा देखो बच्चों प्लाजा नहीं रमन लवकर को बुद्ध की कीमत कैसे समझाई।
6-सच्चा मित्र
एक गधा कई दिनों से बेचैन था वह कुछ जानना चाहता था !उसका एक दोस्त था टॉमी वह फालतू था! वह घर से बाहर कब निकलता था एक दिन वह खिड़की से झांक रहा था बस यही मौका था बात करने का वह चुपके से मुंह खिड़की के पास लाकर बोला टॉमी कैसे हो बहुत दिन से नहीं मिले टॉमी ने अपना मुंह खिड़की से बाहर निकाला वह गधे को देखकर मुस्कुराया गधा संतुष्ट हुआ वह सोचने लगा कैसा सच्चा मित्र है मुझे देख कर बस एक टॉमी जो मुस्कुराता है बाकी सब तो नाक चढ़ाते हैं गधे ने भी उसकी मुस्कुराहट का जवाब मुस्कुराहट से दिया कुत्ता बोला बताऊं गर्दन मित्र जंजीर का पट्टा पड़ा ही रहता है! अब तो खोला भी नहीं जाता गली में किसी कुत्ते ने किसी बच्चों को काट लिया बस उसका दंड हमें मिल रहा है गधे ने उसकी बात मानी और सिर हिलाया बोला बस यही तो न्याय करे कोई भरे कोई मैंने तो किसी को कुछ नहीं बिगाड़ा फिर भी मुझे देख कर कोई नहीं मुस्कुराता तुम ही मेरे सच्चे मित्र हो जो मुझे देख कर मुस्कुराते हो गधे ने बाकी समाप्त किया इतने में उसका मित्र भी उसके ऊपर भागने लगा गधे की भक्ताई जा रहा था गधा उदास हो गया वहां से चला गया वह कई दिन तक फिर बेचने पर दुखी था एक सच्चा मित्र ऐसे नहीं कर सकता जरूर कोई बात होगी 1 दिन टॉमी का पट्टा खुल गया मैं भागा भागा गधे के पास आया था! उसके मालिक ने देख लिया था वह गधे से घृणा करता है करने जा रहा था अपने मित्र को बचाने के लिए कुत्ता भाव खाता गधे की आंखों में मित्र की बात सुनकर आंसू आ गए उसके आंसू कह रहे थे सच्चा मित्र कभी धोखेबाज नहीं हो सकता!
7-कहानी मूर्ख राजा की
एक मूर्ख बादशाह था उसे राज्य और प्रजा किसी की भी चिंता नहीं थी! उसे तो बस केवल कपड़े पहनने का शौक था वह हर घंटे कपड़े बदलता है एक बार उसके दरबार में एक जुलाहा आया और उसने कहा महाराज मैं ऐसे वस्त्र बनाऊंगा जिसे पहनकर लगेगा कि नहीं कि वस्त्र पहने हुए हैं यह वस्त्र केवल बुद्धि वालों को ही दिखाई देंगे बादशाह ने जुलाई को वस्त्र बनाने का आदेश दे दिया जुलाहा बनाने लगा बुलाए मुंह मांगी रकम और बादशाह ने भी धन देने में कमी नहीं की अब राजा को वस्त्र देखने की चिंता हुई! राजा ने मंत्री के जुलाहे के घर जाने को कहा मंत्री उसके घर जा कर दंग रह गया कर गया चल रहा था और कपड़ा भी नहीं था वास्तव में भी ऐसा ही था मंत्री ने जुलाई से कहा कपड़ा कहां है तो जुलाहे ने कहा बन ही गया है कल दरबार में पेश करूंगा लेकिन कपड़े कहां है दुलारा करते हैं और कढ़ाई नहीं दिखाई दे रहे हैं परंतु यह बात मालूम पड़ी तो मुझे नौकरी से हटा देगा यह सोचकर उसने भी झूठी तारीफ की वस्तुओं के बारे में खूब प्रशंसा की और यह भी कहा कि कल दरबार में स्वयं जाएगा को रात भर नींद नहीं आई दूसरे गांव के लोग उपस्थित हुए इलाहाबाद कहां है तो फिर नहीं दिखाई देते हैं इलाही ने कहा यह देखिए महाराज तो फिर राजा ने सोचा शायद मैं मूर्ख हूं इसलिए बस नहीं दिखाई देते हैं परंतु यदि मैंने यह कहा तो लोग मुझे मोर समझकर दरबार से निकाल देंगे राजा ने भी झूठी तारीफ की फिर जुलाहा उन्हें कमरे में ले गया जब राजा बाहर आया तो सभी वाह-वाह कर रहे थे! इसी वैसे कि कहीं वह मूर्ख ना समझे जाए सभी झूठी तारीफ कर रहे थे राजा प्रसन्नता तभी एक बच्चे ने कहा राजा नंगा है सभी हंस पड़े राजा को अपनी मूर्खता पर पछतावा हुआ!
8-ज्ञान-प्रकाश
सदियों पूर्व एक व्यापारी था। उसने बड़ी मेहनत से धन कमाया था। अपने अन्तिम समय में उसने सोचा कि अपना धन अपने दोनों बेटों में बराबर न बांटकर एक योग्य पुत्र को देगा। इसलिए उसने उनकी परीक्षा लेने के लिए एक-एक रुपया दिया और कहा- तुम्हें एक रुपये में इतना सामान लाना है कि जिससे यह पूरा कमरा भर जाए।
दोनों बेटे एक-एक रुपया लेकर चल दिये। पहले को रास्ते में एक भूसे से भरी गाड़ी दिखाई दी उसने वह खरीद लिया, फिर लाकर कमरे में फैला दिया, लेकिन कमरा नहीं भरा दूसरा लड़का शाम तक सोचता रहा फिर बाजार में गया वहां उसने एक रुपये में ढ़ेर सारी मोबत्तियां लीं।
घर जाकर देखा तो भाई निराश पड़ा है। फिर कमरे में मोमबत्ती जलायी तो कमरा प्रकाश से भर गया वद्ध व्यापारी ने खुश होकर सम्पूर्ण धन उसे दे दिया।
9-हितैषी मित्रों का त्याग न करें
एक स्थान पर कुछ भेड़ें चरा करती थीं। कुछ बलवान कुत्ते वहां उनकी रखवाली किया करते थे। भेड़िये उन कुत्तों के भय से उन भेड़ों पर आक्रमण नहीं कर पाते थे एक दिन भेड़ियों ने आपस में सलाह की कि इन कुत्तों के रहते हम लोग कुछ नहीं कर सकते कोई युक्ति निकालकर इन्हें दूर हटाये बिना हमारा काम नहीं चलेगा।
अतः कोई ऐसा उपाय करना होगा, जिससे ये भेड़ों के पासे से चले जाये। ऐसा निश्चय करके उन लोगों ने भेड़ों के पास संदेशा भेजा कि आओ हम लोग अब आपस में संधि कर लें। क्यों हम लोग चिरकाल तक आपस में विवाद करते हुए मरें। जो कुत्ते तुम लोगों की रक्षा करते हैं वही सारे विवाद की जड़ है। वे निरन्तर चिल्लाते रहते हैं इसी से हमें बड़ा क्रोध आता है। उन लोगों का साथ छोड़ दो तो फिर चिरकाल तक हम लोगों के बीच सद्भाव बना रहेगा। अबोध भेड़ों ने इस भुलावे में आकर कुत्तों से नाता तोड़ दिया। इस प्रकार उनके रक्षकरहित हो जाने के बाद भेड़ियों ने सहज ही उन्हें मारकर यथेष्ट पेट भरना आरम्भ कर दिया।
सत्य कहा गया है कि शत्रु की बातों में आकर अपने हितैषी मित्र को त्याग देने से निश्चित रुप से संकट आता है।
10-ज्ञान का महत्व
ईरानी शासक से युद्ध में सिकंदर विजयी हुआ। इस विजय के साथ-साथ सिकंदर को बहुत-सा धन, स्वर्ण मुद्राएं और हीरे-जवाहरात भी मिले।
अभी वे बहुमूल्य वस्तुएं सम्राट सिकंदर को भेंट में दी ही जा रही थीं कि एक सैनिक अधिकारी ने लूट में मिली एक पेटी उपहार में दी। वह स्वर्ण जड़ित पेटी उन सब वस्तुओं में सुन्दर और आर्कषक थी। सिकंदर ने उसे अपने पास रख लिया। प्रश्न उठा इसमें क्या रखा जाए? हीरा किसी ने कहा। सम्राट के आभूषण दूसरे ने बताया। इसमें राजकोष की चाभियां रखी जाएं तीसरे ने कहा।
सिकंदर सबकी सुनता हुआ भी चुप था। लोग कोतूहल में थे इसमें क्या रखा जाएगा?
जब सिकंदर के निर्णय का समय आया तो उसने उसमें इलियड गंथ रखा, जिससे उसने पौरुष , पराक्रम और जीवनोत्कर्ष की प्रेरणाएं पाई थीं। उस दिन से सिकंदर के अधिकारी भी ज्ञान को अधिक महत्व देने लगे।
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