Friday, September 25, 2020

अमन के दुश्मनों पे मुरौव्वत नहीं करते ! Hindi Ghazal

 

अमन के दुश्मनों  पे मुरौव्वत नहीं करते !

अमन के दुश्मनों  पे मुरौव्वत नहीं करते ,

देश के गद्दारों से मोहबत नहीं करते !


जमाना लाख दिखाय सब्ज़ बाग़ दौलत के ,

हम अपने ईमान की तिजारत नहीं करते !


जर्रे - जर्रे में समाया है उसी का नूर ,

कुदरत की किसी शै से नफरत नहीं करते !


रस्मो -रिवाज़  को नींद आ जाती है ज़रूर ,

गर साथ दहेज़ बेटी रुख़सत नहीं करते !


नामो -निशान  उनका बाकी न रहेगा ,

जो अपनी तहजीब की हिफाजत नहीं करते !


इल्म -हुनर  किस तरह हासिल करेंगे वो ,

जो अपने उस्ताद की इज्जत नहीं करते !


अपनी औलाद से उम्मीद न रखे हरगिज़ ,

जो अपने वालदैन की खिदमत नहीं करते !


हालात ने बंसी को बना डाला है बन्दूक ,

दुसमन हमें मिटाने की हिम्मत नहीं करते !


हर मुश्किल की तदबीर  है "ऐ  शहामत "

हम कभी बुज़दिलों की हिमायत नहीं करते !

Labels: