फूल चुनते चमन से सभी है, तुम कांटे उठाकर तो देखो। - Hindi Ghazal
गजल
फूल चुनते चमन से सभी है, तुम कांटे उठाकर तो देखो।
आज हर एक परेशां यहां पर, तुम उमंग से मुस्करा कर तो देखो।
मैंने माना मसीहा नहीं हो, फिर भी सच है कि इन्सान ही सब।
उसी इन्सानियत की कसम है, गम किसी का उठाकर तो देखो।
इल्मतालीम ही जिन्दगी है, जानकर भी न अन्जान बनिए।
ग्रन्थ-वेद और कुरान यही कहते, कुछ पढ़ो कुछ पढ़ाकर तो देखो।
दानिशों का असर आ गया तो, नाम मरकर अमर होगा यारों।
कहां तक बयां करते जाएं, तुम जरा इस पर चलकर तो देखो।
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