Friday, October 16, 2020

शिक्षक की गरिमा मत भूलो, अमृत है उसकी वाणी में। - Hindi Kavita

शिक्षक की महिमा

शिक्षक की गरिमा मत भूलो, अमृत है उसकी वाणी में। - Hindi Kavita


शिक्षक की गरिमा मत भूलो, अमृत है उसकी वाणी में।

वह ही सच्चा निर्माता है, वह अन्र्तनिहित है सब प्राणी में।।


उसकी कृपा दृष्टि पाकर, मन के विकार मिट जाते हैं।

उसके ही गुण गाकर, पशु से मानव बन जाते हैं।।


उसके बिन मनुज अधूरा है, पूरा उसका उत्थान नहीं।

उसकी अनुकम्पा बिन मनुष्य को, मिल सकता कुछ ज्ञान नहीं।


वह नाशक है तम माथे का, अन्याय का प्रतिरोधक है।

वह गुणी-गुणों का है आधार, वह नवीनता का द्योतक है।।


उसकी गरिमा गुरुता पाकर, जग में कृष्ण महान बने।

उसकी क्षमता को अपनाकर, श्री रामचन्द्र भगवान बने।।


उसकी मन्त्रणा के अनुचर बन, चन्द्रगुप्त सम्राट बने।

उसका ही सम्बल पाकर के, शिवाजी वीर सम्राट बने।।


गुरु की कृपा यदि रहे तो , कंटक पथ के हट जाते हैं।

गुरुवर की कृपा यदि रहे तो, रोग-शोक सब मिट जाते हैं।।


उसकी गुरुता, गरिमा, महिमा, स्वीकार करो-स्वीकार करो।

उसका तन-मन-धन से, सम्मान करो-सम्मान करो।

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