Tuesday, December 1, 2020

भूखी थी गौरैया एक दिया किसी ने दाना फेंक। Hindi Poem

 भूखी गौरैया

भूखी गौरैया_hindi poem


भूखी थी गौरैया एक दिया किसी ने दाना फेंक।

ज्यों ही उसने दाना खायाबेहोशी से सिर चकराया।

खुल आंख तो उड़ गये होशदेख के पिजड़ा आया रोष।

पिंजड़े में वह कैसे आयीयह बिल्कुल वह जान  पायी।

पानी पिया  खाया खानामर जाने का किया बहाना।

जब पिंजड़े का मालिक आयादेख के हालत वह घबराया।

उसने बाहर उसे निकालाहाथ पर रखकर जरा उछाला।

हाथ से छूटी आयी जानगौरैया ने भरी उड़ान।

धोखे से अब  आऊंगीलिया था उसने मन में ठान।

बिन परखे कुछ  खाऊंगीचाहे भूख से निकले जान।

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