Tuesday, December 1, 2020

दबी हुई जो चिंगारी, वह फिर से भड़क उठेगी। आसान समझ न मौन रुप, ये बांहें फड़क उठेगी। Hindi_Kavita

 चिंगारीक्रिकेट

चिंगारी- क्रिकेट


दबी हुई जो चिंगारीवह फिर से भड़क उठेगी।

आसान समझ  मौन रुपये बांहें फड़क उठेगी।

परमाणु बम का खौफ जताकरक्या तुम हमें डराओगे।

यह शारजाह की फील्ड नहींजो वल्र्डकप ले जाओगे।

अंगारों की राह चलोगेरग-रग तड़प उठेगी।

दबी हुई जो चिंगारीवह फिर से भड़क उठेगी।

 कश्मीर को चांद सितारेक्या तोड़ोगे तुम।

मचल रहे तूफान के रुखक्या मोड़ोगे तुम।

हो जाओगे खाकबिजलियां कड़क उठेंगी।

दबी हुई जो चिंगारीवह फिर से भड़क उठेगी।

मानवता कर रही विलापकरुणा है सिसक रही।

शांति प्रेम के अनुयायीहर ममता भी है मचल रही।

बारुदों के ढेर पर बैठीदुनिया तड़प् उठेगी।

 दबी हुई जो चिंगारीवह फिर से भड़क उठेगी।

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