दबी हुई जो चिंगारी, वह फिर से भड़क उठेगी। आसान समझ न मौन रुप, ये बांहें फड़क उठेगी। Hindi_Kavita
चिंगारी- क्रिकेट
दबी हुई जो चिंगारी, वह फिर से भड़क उठेगी।
आसान समझ न मौन रुप, ये बांहें फड़क उठेगी।
परमाणु बम का खौफ जताकर, क्या तुम हमें डराओगे।
यह शारजाह की फील्ड नहीं, जो वल्र्डकप ले जाओगे।
अंगारों की राह चलोगे, रग-रग तड़प उठेगी।
दबी हुई जो चिंगारी, वह फिर से भड़क उठेगी।
कश्मीर को चांद सितारे, क्या तोड़ोगे तुम।
मचल रहे तूफान के रुख, क्या मोड़ोगे तुम।
हो जाओगे खाक, बिजलियां कड़क उठेंगी।
दबी हुई जो चिंगारी, वह फिर से भड़क उठेगी।
मानवता कर रही विलाप, करुणा है सिसक रही।
शांति प्रेम के अनुयायी, हर ममता भी है मचल रही।
बारुदों के ढेर पर बैठी, दुनिया तड़प् उठेगी।
दबी हुई जो चिंगारी, वह फिर से भड़क उठेगी।
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