सूरज दादा सूरज दादा, रोज कहां से आते आप? | Sooraj Dada | Hindi Kavita
सूरज दादा
रोज सबेरे इतने सारे, रंग कहां से लाते आप?
जग को रोशन करने वाली, धूप कहां से पाते आप?
सरदी में क्यों देर से आते, क्यों जल्दी छिप जाते आप?
गरमी में क्यों गुस्सा रहते, तेज किरण बरसाते आप?
वर्षा ऋतु में बादल मे, क्यों छुप-छुप के मुस्काते आप?
सूरज दादा-सूरज दादा, कहां शाम को जाते आप?
Labels: कविता


<< Home