Tuesday, December 1, 2020

देखे थे मैंने भी कभी, अहले वतन पे मरने के ख्वाब। Waqt ki mahatta... Hindi_Kavita

 वक्त की महत्ता

वक्त की महत्ता


देखे थे मैंने भी कभीअहले वतन पे मरने के ख्वाब।

लेकिन अचम्भा रह गयाउतरा जो सर से मेरे नकाब,

मुझको खुद से थे गिलेकुछ कर  पाने की वजह।

फिर भी मैं खामोश थासबसे बड़ी थी ये सजा।

मुद्दत से एक मौका मिलाशिकवा मिटाने के लिए।

खुद को मैं ढूढ़ने  निकलामन में एक दीपक के लिए।

खुद मैं  खोज पायावक्त था एकदम करीब।

जब मिला तब वक्त  थारो रहा कैसा नसीब।

वक्त की दुनिया है यारोंबेवक्त कुछ होता नहीं।

 

 अभागेफिर मिलेंगेवक्त को आने दो.........

Labels: